Sunday, October 4, 2009

रुख़सत किया तूने मुझे किसी और के लिए...

मैंने आज से ही ब्लॉग पर लिखना शुरू किया है। मेरा ये ब्लॉग उन तमाम भाइयों और बहनों को समर्पित है, जिन्होंने अपने जीवन में अपनी प्रेमिका या प्रेमी से अपनी तमाम वफाओं के बदले सिर्फ़ और सिर्फ़ ज़फ़ा ही पाया है. मैंने यह ब्लॉग इसलिए बनाया है ताकि आप लोगों को अपनी भावनाओं से परिचित करा सकूं। आप लोगों से रु-ब-रु होने का ये मेरा अपना तरीका है. हो सकता है मेरा ये तरीक़ा आप लोगों को बेवक़ूफाना या फिर बेहद अजीब लगे. ये आप लोगों की सोच और विचारधाराओं की बात है. मेरे विषय में कुछ भी सोचने के लिए आप स्वतंत्र हैं। कहते हैं कि दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंककर पीता है लेकिन मोहब्बत के जले का क्या? दूध से तो में आज तक नही जला हूँ। लेकिन कम्बख्त इस मोहब्बत ने मुझे जला ही दिया। इसने मुझे इस क़दर जलाया है कि मेरी रूह तक इसकी लपटों में आ गई है। इसका इलाज क्या है ये तो मुझे नही पता लेकिन इतना ज़रूर समझ गया हूँ कि इससे दर्द कितना होता है? संपूर्ण मानव समाज के लिए प्रेम एक सर्वोत्तम सौगात है। प्रेम प्रकृति का वह अनमोल उपहार है जो मानव जाति के अस्तित्व हेतु अति आवश्यक है। यदि मनुष्य के हृदय से प्रेम समाप्त हो जाए तो मानव जाति के विनाश को शायद कोई न रोक सके।
पर यह समर्पण और प्रेम केवल मेरे हृदय में था, उसके लिए. उसकी धड़कनों में शायद किसी और के लिए साँसें थीं। ये मेरा पहला पोस्ट है और इसे पढने के बाद आप समझ ही गए होंगे कि इस ब्लॉग में आपको एक प्रेम कहानी का सजीव चित्रण मिलेगा, एक ऐसी प्रेम कहानी जिसे "प्राइम कहानी" भी कहा जा सकता है. "प्राइम कहानी" इसलिए क्योंकि इसकी उम्र उतनी ही थी जितनी एकता कपूर के "प्राइम शो" की होती है. मतलब बहुत कम. आगे आपको अपने और अपनी "प्राइम कहानी" से रु-ब-रु करता रहूँगा. पढ़ते रहें...

3 comments:

Randhir Singh Suman said...

nice

हरकीरत ' हीर' said...

आपका पहला प्रेम पत्र पढ़ा ...!!
बहुत खूब .....!!
स्वागत है .....!!


ye word verification hta dein ....!!

Alpana Verma said...

ye dard bhara afsana...

aap ne intro mein sher khuub likha hai.